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Vaishakh Amavasya 2024 Date: कब है वैशाख अमावस्या, 8 या 9 मई को? जानें सही डेट और शुभ मुहूर्त

Vaishakh Amavasya 2024 Date: आज हम आपको बताएंगे कि साल 2024 में वैशाख अमावस्या कब मनाई जाएगी. साथी ही जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और मंत्रों के बारे में.

Updated on: 07 May 2024, 10:46 AM

नई दिल्ली:

Vaishakh Amavasya 2024 Date: सनातन धर्म में अमावस्या तिथि का बहुत अधिक महत्व है.  इस तिथि पर पितरों का तर्पण करने की परंपरा है. इसके साथ ही इस दिन पितरों का तर्पण और श्राद्ध भी किया जाता है.  मान्यता है कि इस दिन ऐसा करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है. वहीं इस बार वैशाख अमावस्या की तिथि को लेकर लोग ज्यादा कंफ्यूज हो रहे हैं. एक तरफ जहां कुछ लोगों का मानना है कि इस बार वैशाख अमावस्या 08 मई को मनाई जाएगी तो वहीं कुछ लोग का कहना है कि वैशाख अमावस्या 09 मई को मनाई जाएगी. ऐसे में इस लेख के जरिए आज हम आपके इस कंफ्यूजन को दूर करेंगे और बताएंगे कि साल 2024 में वैशाख अमावस्या कब मनाई जाएगी. साथी ही जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और मंत्रों के बारे में. 

8 या 9 मई, वैशाख अमावस्या कब? (Vaishakh Amavasya 2024 Kab Hai)

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार वैशाख अमावस्या 08 मई 2024 को मनाई जाएगी. इस दिन पितरों के नाम से तर्पण, दान पुण्य के साथ-साथ व्रत किया जाता है. इसके साथ ही मान्यता है कि इस दिन  पीपल के वृक्ष की पूजा करने से पितरों को शांति मिलती है. 

वैशाख अमावस्या 2024 डेट और शुभ मुहूर्त (Vaishakh Amavasya 2024 Date and Shubh Muhurat)

पंचांग के अनुसार, वैशाख के माह कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि की शुरुआत 07 मई को सुबह 11 बजकर 40 मिनट से और इस तिथि का समापन  08 मई को सुबह 08 बजकर 51 मिनट पर होगा. 

वैशाख अमावस्या की पूजा विधि (Vaishakh Amavasya Puja Vidhi)

वैशाख अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर देवी-देवताओं की ध्यान करें. उसके बाद पवित्र नदी या फिर घर में स्नान करें. फिर सूर्यदेव को अर्ध्य दें. अब पितरों का तर्पण करें और उनकी आत्मा की शांति के लिए व्रत रखें और मंत्रो का जाप करें. आखिरी में अपनी श्रद्धा अनुसार जरूरतमंदों को दान करें. 

इन मंत्रों का करें जाप

1. ॐ पितृ देवतायै नम:

2. ॐ पितृ गणाय विद्महे जगतधारिणे धीमहि तन्नो पित्रो प्रचोदयात्।

3. ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च . नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:

4. गोत्रे अस्मतपिता (पितरों का नाम) शर्मा वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम. गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः।

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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