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South Facing House Vastu: दक्षिण दिशा में है आपका घर, घबराए नहीं, आप भी बन सकते हैं अमीर 

South Facing House Vastu: वास्तु शास्त्र के अनुसार दक्षिण मुखी घर को हमेशा शुभ नहीं माना जाता है। दक्षिण दिशा को यमराज की दिशा माना जाता है. लेकिन, अगर आपका घर पहले से ही दक्षिण मुखी है तो भी घबराने की बात नहीं है। वास्तु के अनुसार कुछ उपाय करने से आप इस दिशा के दोष को कम कर सकते हैं.

Updated on: 06 May 2024, 12:19 PM

नई दिल्ली :

South Facing House Vastu: वास्तु शास्त्र एक प्राचीन भारतीय विज्ञान है जो मनुष्य के जीवन में स्थापना, निर्माण, और उसके आस-पास के परिवेश को सामंजस्यपूर्ण रूप से व्यवस्थित करने के लिए उपयोगी है. वास्तु शास्त्र के अनुसार दक्षिण मुखी मकान को वास्तुदोष माना जा सकता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि ऐसे घरों में सुख-शांति नहीं रहती. वास्तु के अनुसार कुछ उपाय करके दक्षिण मुखी मकान में सकारात्मक ऊर्जा का संचार किया जा सकता है. अगर आपका घर साउथ फेसिंग है या आप जो घर लेने वाले हैं वो साउथ फेसिंग है तो उसे अपने लिए लकी घर कैसे बना सकते हैं ये भी जान लें. 

मुख्य द्वार

वास्तु के अनुसार दक्षिण दिशा में मुख्य द्वार शुभ नहीं माना जाता है. अगर आपके घर का मुख्य द्वार दक्षिण दिशा में है तो उत्तर दिशा में एक और द्वार बनाने की सलाह दी जाती है. यह दक्षिण द्वार के वास्तु दोष को कम करने में मदद करेगा. मुख्य द्वार पर स्वास्तिक बनाएं या शुभ लाभ लिखवाएं. मुख्य द्वार के बाहर शुभ लक्ष्मी जी की प्रतिमा लगा सकते हैं.

दीवारों का रंग

दक्षिण दिशा की दीवारों पर गर्म रंगों का प्रयोग करने से बचें. नीले या काले रंग का प्रयोग ना करें. लाल या क्रीम जैसे हल्के रंगों का प्रयोग करना शुभ होता है. दक्षिण दिशा की दीवार घर की सबसे ऊंची दीवार होनी चाहिए.

कटिंग और छत

दक्षिण दिशा में अधिक खिड़कियां या दरवाजे ना बनवाएं. दक्षिण की ओर छत का ढलान उत्तर की ओर होना चाहिए.  दक्षिण मुखी मकान में वास्तु संतुलन के लिए दक्षिण दिशा में बहुत अधिक खिड़कियां या दरवाजे नहीं बनाने चाहिए. वास्तु का यह सिद्धांत प्राकृतिक प्रकाश और हवा के संचार को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है. वहीं, दक्षिण दिशा की ओर छत का ढलान उत्तर की ओर होना चाहिए. ऐसा करने से बरसात का पानी का सही निकास होता है और घर की संरचना मजबूत बनी रहती है.

ब्रह्म स्थान शुद्धिकरण

वास्तु शास्त्र में घर के केंद्र भाग को ब्रह्म स्थान माना जाता है. इस स्थान को हमेशा साफ रखना चाहिए. वास्तु सुधार के लिए आप ब्रह्म स्थान में एक मिट्टी या कांच के पात्र में शुद्ध समुद्री नमक रख सकते हैं. कुछ समय बाद इस नमक को बहते पानी में प्रवाहित कर दें. ऐसा करने से माना जाता है कि घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़ता है.

दक्षिण दिशा में भारी फर्नीचर या मशीनें ना रखें. दक्षिण दिशा में रसोईघर या पूजा का स्थान ना बनाएं. आप दक्षिण दिशा में बाथरूम बना सकते हैं. ब्रह्म स्थान (घर के केंद्र भाग) में शुद्ध समुद्री नमक रखने और फिर उसे बहते पानी में प्रवाहित करने से भी वास्तु दोष कम होता है. एक कांच या मिट्टी के खुले मुंह के कटोरे में समुद्री नमक भरकर रात को रख सकते हैं और अगले दिन उसे बहते पानी में प्रवाहित कर सकते हैं. ऐसा तीन दिन तक करें. ध्यान रहे कि उस नमक को कोई व्यक्ति ना लांघे और वह नमक गिरे नहीं.

वास्तु शास्त्र सभी समस्याओं का समाधान नहीं है. घर में सकारात्मक वातावरण बनाने के लिए वास्तु के साथ-साथ सफाई, हवादार रखना और सकारात्मक सोच भी महत्वपूर्ण है. अगर आप वास्तु में कोई बड़ा बदलाव करने में असमर्थ हैं, तो भी आप छोटे-छोटे उपाय करके अपने घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार कर सकते हैं. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)