Abrahamic Religion: दुनिया का सबसे नया धर्म अब्राहमी, जानें इसकी विशेषताएं और विवाद
Abrahamic Religion:अब्राहमी धर्म उन धर्मों को कहते हैं जो एक ईश्वर को मानते हैं और पैगंबर इब्राहीम को ईश्वर का दूत मानते हैं. इन धर्मों में यहूदी धर्म, ईसाई धर्म, इस्लाम और बहाई धर्म प्रमुख हैं.
नई दिल्ली :
Abrahamic Religion: अब्राहमी धर्म एक नया धार्मिक विचार है जो 2020 में इजरायल, संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन के बीच शांति समझौते ("अब्राहमी समझौते") के बाद उभरा. यह धर्म तीनों धर्मों - इस्लाम, ईसाई और यहूदी धर्म - के बीच समानताओं पर आधारित है, जिनके संस्थापकों को "अब्राहम" के नाम से जाना जाता है. हाल के वर्षों में, "अब्राहमी धर्म" शब्द का उल्लेख अक्सर मीडिया में हुआ है. कुछ लोगों का दावा है कि यह एक नया धर्म है जो शांति और सहयोग को बढ़ावा देगा, जबकि अन्य लोग इसे एक राजनीतिक चाल के रूप में देखते हैं. अब्राहमी धर्म की अवधारणा के कई संभावित निहितार्थ हैं. कुछ लोगों का मानना है कि यह तीनों धर्मों के बीच अधिक सहयोग और संवाद को प्रोत्साहित कर सकता है, जिससे धार्मिक हिंसा और संघर्ष कम हो सकता है. दूसरों का मानना है कि यह धार्मिक स्वतंत्रता और विविधता के लिए खतरा पैदा कर सकता है, क्योंकि यह एक एकल "अब्राहमी" पहचान पर जोर देता है.
अब्राहमी धर्म क्या है?
अब्राहमी धर्म एक शब्द है जिसका उपयोग इब्राहीम नामक पैगंबर से प्रेरित तीन धर्मों - यहूदी धर्म, ईसाई धर्म और इस्लाम - का वर्णन करने के लिए किया जाता है. इन तीनों धर्मों में कई समानताएं हैं, जैसे कि एकेश्वरवाद (एक ईश्वर में विश्वास), पवित्र ग्रंथों का महत्व, और नैतिकता और न्याय की समान अवधारणाएं.
अब्राहमी धर्म की उत्पत्ति कैसे हुई ?
अब्राहमी धर्म की अवधारणा नई नहीं है. विद्वानों ने सदियों से इन तीनों धर्मों के बीच संबंधों का अध्ययन किया है. हालांकि, हाल के वर्षों में, राजनीतिक नेताओं और धार्मिक विद्वानों द्वारा इस शब्द का अधिक सक्रिय रूप से उपयोग किया जा रहा है, खासकर मध्य पूर्व में शांति और समझौते को बढ़ावा देने के प्रयासों के हिस्से के रूप में.
अब्राहमी धर्म की विशेषताएं
एक ईश्वर में विश्वास: अब्राहमी धर्म एकेश्वरवादी है, जिसका अर्थ है कि यह केवल एक ही ईश्वर में विश्वास रखता है.
इब्राहिम से जुड़ाव: यह धर्म पैगंबर इब्राहिम और उनके वंशजों - इसहाक, याकूब और उनके पुत्रों - की शिक्षाओं पर आधारित है.
शांति और सद्भाव: अब्राहमी धर्म शांति, सद्भाव और सह-अस्तित्व को बढ़ावा देता है.
समानता और न्याय: यह धर्म सभी लोगों की समानता और न्याय पर बल देता है.
अब्राहमी धर्म से जुड़े विवाद और आलोचनाएं
अब्राहमी धर्म की अवधारणा विवादास्पद भी है. कुछ आलोचकों का तर्क है कि यह तीनों धर्मों के बीच महत्वपूर्ण अंतरों को कम करता है, और यह कि यह इस्लाम को "धोने" का एक प्रयास है. दूसरों का मानना है कि यह एक नव-उपनिवेशवादी परियोजना है जो पश्चिमी शक्तियों द्वारा अरब और मुस्लिम दुनिया को नियंत्रित करने के लिए बनाई गई है.
नया धर्म नहीं: कुछ लोग इसे नया धर्म मानने से इनकार करते हैं, क्योंकि यह पहले से मौजूद धर्मों की शिक्षाओं का मिश्रण है.
राजनीतिक एजेंडा: कुछ आलोचकों का मानना है कि यह धर्म इजरायल और अरब देशों के बीच संबंधों को सामान्य करने के लिए एक राजनीतिक रणनीति है.
धार्मिक स्वतंत्रता पर खतरा: कुछ लोग चिंता व्यक्त करते हैं कि यह धर्म धार्मिक स्वतंत्रता को खतरा पैदा कर सकता है और धार्मिक अल्पसंख्यकों को हाशिए पर धकेल सकता है.
अब्राहमी धर्म एक जटिल और बहुआयामी अवधारणा है जिसके कई संभावित निहितार्थ हैं. यह अभी भी विकास के अधीन है, और यह स्पष्ट नहीं है कि यह भविष्य में धार्मिक परिदृश्य को कैसे प्रभावित करेगा. अब्राहमी धर्म का भविष्य अनिश्चित है. यह धर्म अभी भी अपने शुरुआती चरण में है और यह देखना बाकी है कि यह कितने लोगों को आकर्षित करेगा और इसका समाज पर क्या प्रभाव पड़ेगा.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
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